*निस्चय*
यह कहानी मेरी है, *महक* नाम है मेरा! बचपन से ही पढ़ने लिखने का बड़ा शौक था ! ज्यादा लोगो से घुलना मिलना भी नही था मेरा, संगीत से बड़ा लगाव था मुझे, जब भी परेशान होती थी अपने मोबाइल से अपने चुनिंदा गाने सुनती थी ! खाने पीने का बड़ा शौक था मझे , अगर बात आलू के पराठे की हो तो मेरा उत्साह और बढ़ जाता था, बस एक ऐसा दोस्त चाहती थी जो बस मेरी सुने कुढ़ कुछ ना बोले ! मेरी एक दोस्त थी जो मेरे बहुत करीब थी उसका नाम था * अनिशा * ! अनिशा मेरे साथ चार वर्षों से साथ थी, बिलकुल मेरे हमसफ़र की तरह! स्कूल की पढ़ाई ख़तम करने के बाद हमारा दाखला देश के बेहतरीन कॉलेज में हो गया ! हमारा उत्साह चरम पर था मानो हमे एक नयी दुनिया मिल गयी हो ! कॉलेज के वातावरण में घुलने में हमे बिलकुल भी समय नही लगा ! बहुत सारे दोस्त बन गये थे हमारे ! हम बहुत खुश थे ! एक दिन हमारी मुलाकात * मयंक * से हुई ! वैसे तो वो उम्र में हमसे दो वर्ष बड़ा था पर उसकी मासूमियत हमे भा गयी ! हमे लगा इससे हमारी खूब बनेगी तो हमने इसे
दोस्त बना लिया ! फिर उसने हमे अपने दोस्तों से मिलवाया ! वो भी खूब थे ! हम लोग घुमते फिरते मस्ती करते ! अनजाने में हमे पता ही नही चला की थोड़ी सी खुशी के लिए हम किस रास्ते पर निकल पड़े हैं ! मयंक के दोस्त शराब पीते थे तो उन्होंने हमे पीने क लिए पुछा, हमने बराबर मना कर दिया की हमें ये सब पसंद नही है ! उनके बार बार कहने पर हमने सोचा की एक बार पीने में क्या जाता है, तो हमने उनकी बात मानकर बस एक बार पीने के लिए मान गये ! उस दिन कुछ समझ ही नही आ रहा था की हम क्या कर रहे थे ! उसके बाद वो लोग रोज़ हमसे मिलने को बोलते कभी खाने के बहाने तो कभी घूमने के ! एक दो बार तो हम मान गये फिर हमे लगा ये लोग ज्यादा ही कर रहे थे तो हमने मना करना शुरू कर दिया ! उन्हें इस बात का बुरा लगने लगा ! तो उन्होंने मयंक को फालतू बोलना शुरू कर दिया ! जाने अनजाने मयंक मुझे पसंद करने लगा था ! मझे ये पता लग गया था ! मयंक हमे रोज़ किसी ना किसी बहाने से मिलने को बुलाता, पर हम तो ये सोच चुके थे, की हम इस चक्कर से ही दूर हो जायेंगे ! मयंक हमसे मिलने को पूछता तो हम मना कर देते थे ! मयंक को इस बात का बुरा लगता, पर वो करता भी क्या! मेरा जन्मदिन आने वाला था हम लोग उत्साह में थे ! अनिशा ने मेरे लिए बड़े बड़े प्लान्स बना रखे थे ! रोज़ की तरह हम कॉलेज ख़तम करके बड़े गेट से बहार निकले तो हमारी साँसे भड़ गयी ! सामने मयंक खड़ा था ! वो मेरे पास आया और बोला * आज मझे तुम्हारा जन्मदिन मनाने का मोका दे दो ! मने स्पस्ट मना कर दिया क्यूंकि मैं अनिशा को निराश नही करना चाहती थी ! वो नही माना, ऎसा लगा मनो आज वो मानेगा नही ! मने बहुत समझाया पर वो जिद पद डटा रहा ! मैंने उसे जाने को कहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया , मझे बुरा लगा ! फिर उसने माफ़ी मांगते हुए प्यार की कस्मे दे दी, तो मजबूरन मने हाँ कर दी ! वो हमे अपने फ्लैट पर ले गया जहाँ उसके दोस्त पहले से थे ! उस दिन भी उन्होंने हमे शराब पिला दी जो हमे बिलकुल भी पसंद नही थी ! उस दिन हमने कसम खा ली थी की हम कभी अब से इनसे नही मिलेंगे ! कुछ दिनों बाद मयंक हमसे मिला ! उसने हमसे नाराज़गी का वजह पूछी तो मैंने कह दिया की * मझे तुमसे कोई प्यार नही है , तुम अपना समय बर्बाद मत करो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो ! इस बात से उसे बुरा लगा, उसने मुझे दोस्त रहने को कहा ! मैंने थोडा सोचा और * हाँ *कर दी ! सब ठीक चलने लग रहा था ! पर कहीं ना कहीं मयंक अपनी और अपने दोस्तों की बेजती का बदला लेने की सोच रहा था ! मयंक का एक दोस्त था जिसका नाम *अक्षय * था ! अक्षय देखने में आकर्षित करने वाला था ! वो लड़कियों में बहुत आसानी से घुल मिल जाता था ! कॉलेज में उसने कई लड़कियों के साथ अपना नाम जोड़ रखा था ! वो जा भी लड़कियों के साथ करता, बाद में अपने दोस्तों को बताता था ! मयंक ने उसे मुझसे और अनिशा से दोस्ती करने के लिए मना लिया ! अक्षय बहुत जल्द हमारा दोस्त बन गया ! हम एक साथ घुमते और मिलते थे ! बहुत जल्द ही मेरा नाम अक्षय के साथ लिया जाने लगा ! इस बात का मयंक को बुरा लगा ! उसने मयंक को हमसे दूर हो जाने को कहा ! एक बार तो अक्षय ने मना किया, पर वो भी क्या करता ! अक्षय ने हमसे दोस्ती तोड़ ली थी ! वो अब हमसे दूर था ! मयंक इस बात से खुश था की वो मेरा नाम ख़राब करने में कामयाब हो चुका था ! हमे इस बात का बिलकुल भी पता नही था की लोग हमारे बारे में क्या बातें करने लगे थे ! एक दिन मैंने इंटरनेट पर एक लड़के का मैसेज पढ़ा जो उसने मझे कई महीनो पहले उसने मझे भेजा था ! उस लड़के का नाम *निस्चय* था ! वो देखने में अछा था और शरीफ भी था ! उसकी बातों से मझे लगा की वो मुझे पसंद करता था! वो हमसे मिला तो लगा की हमारी सोच और पसंद काफी मिलती थी ! उसको हम पर पूरा भरोसा था ! पर मयंक ने हमे एक साथ देख लिया था ! मयंक ने सोच रखा था की वो किसी भी लड़के को मेरे साथ नही दिखने देगा ! उसने निस्चय को परेशान करना शुरू कर दिया , जब बात नही बनी तो उसे धमकाया पर वो नही माना ! फिर उसने मेरे और निस्चय की दोस्ती के बारे में जानने की कोशिश की ! अनिशा ने भावुक होकर कह दिया की * अगर महक किसी भी अरैए गैरे लड़के के साथ दिखती है तो वो उसका दोस्त भी हो सकता है ! निस्चय को लोगों की बातों का कोई फर्क नही पड़ता था ! उसे तो बस हमसे दोस्ती निभानी थी ! उसने हमे कभी नही बताया था की एक बार ऐसे ही दोस्तों ने उसे जबर्दस्ती शराब पिलायी थी तो वो बेहोश हो गया था ! बाद में उसने उस संगत के दोस्त बनाये ही नही थे ! वो बस अपने जैसे लोगो से दोस्ती करना चाहता था ! वो हमे बिलकुल अपने जैसा समझता था ! वो किसी भी हाल में हमसे दोस्ती नही तोडना चाहता था ! उसने हमे कभी भी ये बात नही बतायी की मयंक उसे परेशान करता था ! बाद में जब जब मझे पता चला की वो थोडा परेशान रहता है तो मैंने उस से बात करनी बंद कर दी ताकि वो पढ़ाई पर ध्यान दे सके ! एक दिन अचानक निस्चय ने मुझे बुरा भला कहा तो मझे बहुत बुरा लगा ! मुझे लगा की वो मझसे बदला ले रहा है क्योंकि मैंने उस से बात करनी जो बंद कर दी थी ! मैंने निस्चय से दोस्ती तोड़ने की ठान ली थी ! निस्चय ने एक दिन मुझे बताया की जो भी कुछ उसने कहा वो सब मयंक ने करवाया था ! मेरी एक गलत परख ने मेरे कॉलेज लाइफ का एक साल बर्बाद कर दिया निस्चय कभी वापस नही आया ! ..........
0 comments:
Post a Comment