life is a race

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                                  LIFE IS A RACE

We all want to do something
But not sure about goal
Thant's why we can do nothing
Perhaps we don't know our soul
Set your goal and try to achieve
Only good results you would receive
First of all fix your aim
And then work hard for the same
What is necessary? Positive thinking
let your heart never be sinking
In adverse situation, if you face
Never forget life is a race
Have patience and try again
What you've lost, you'll regain
As a student our work is to read
Fruitful reading is like a seed
That will give fruit and shade
In your future you'll be upgrade
Education will give you name and fame
Your life is like a frame
In which your picture will be set
What you want you'll get
So hurry up never be late, IF NOT
You'll find closed, the gate of your fate.

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the way

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The Way

Nothing comes out of nothing
work harder of everything
what will be, will be
No use to waste your thinking
what is life? ?
Love Intelligence Faith End.
Time is your precious coin
never let it others to spend.
Nitesh R.Mahlawat 

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जिंदगी

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जिंदगी

तमाम उलझनो का नाम है जिंदगी
हर रोज़ मुश्किलों का पैगाम है जिंदगी
हर किसी को नहीं हमराज़ है जिंदगी
किसी से खुश किसी से नाराज़ है जिंदगी
कुर्बानियों का नाम दिन रात, है जिंदगी
दर्द की एक बड़ी सौगात है जिंदगी
मेरी तरह क्या तू भी, पहेली है जिंदगी
भीड़ में रहकर भी अकेली है जिंदगी

 किसी के लिए ख़ुशी का साज़ है जिंदगी
किसी बद्नसीब के लिए मौत की आवाज़ है
जिंदगी! 

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*निस्चय*

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यह कहानी मेरी है, *महक* नाम है मेरा! बचपन से ही पढ़ने लिखने का बड़ा शौक था ! ज्यादा लोगो से घुलना मिलना भी नही था मेरा, संगीत से बड़ा लगाव था मुझे, जब भी परेशान होती थी अपने मोबाइल से अपने चुनिंदा गाने सुनती थी ! खाने पीने का बड़ा शौक था मझे , अगर बात आलू के पराठे की हो तो मेरा उत्साह और बढ़ जाता था, बस एक ऐसा दोस्त चाहती थी जो बस मेरी सुने कुढ़ कुछ ना बोले ! मेरी एक दोस्त थी जो मेरे बहुत करीब थी उसका नाम था * अनिशा * ! अनिशा मेरे साथ चार वर्षों से साथ थी, बिलकुल मेरे हमसफ़र की तरह! स्कूल की पढ़ाई ख़तम करने के बाद हमारा दाखला देश के बेहतरीन कॉलेज में हो गया ! हमारा उत्साह चरम पर था  मानो हमे एक नयी दुनिया मिल गयी हो ! कॉलेज के वातावरण में घुलने में हमे बिलकुल भी समय नही लगा ! बहुत सारे दोस्त बन गये थे हमारे ! हम बहुत खुश थे ! एक दिन हमारी मुलाकात * मयंक * से हुई ! वैसे तो वो उम्र में हमसे दो वर्ष बड़ा था पर उसकी मासूमियत हमे भा गयी ! हमे लगा इससे हमारी खूब बनेगी तो हमने इसे
दोस्त बना लिया ! फिर उसने हमे अपने दोस्तों से मिलवाया ! वो भी खूब थे ! हम लोग घुमते फिरते मस्ती करते ! अनजाने में हमे पता ही नही चला की थोड़ी सी खुशी के लिए हम किस रास्ते पर निकल पड़े हैं ! मयंक के दोस्त शराब पीते थे तो उन्होंने हमे पीने क लिए पुछा, हमने बराबर मना कर दिया की हमें ये सब पसंद नही है ! उनके बार बार कहने पर हमने सोचा की एक बार पीने में क्या जाता है, तो हमने उनकी बात मानकर बस एक बार पीने के लिए मान  गये ! उस दिन कुछ समझ ही नही आ रहा था की हम क्या कर रहे थे ! उसके बाद वो लोग रोज़ हमसे मिलने को बोलते कभी खाने के बहाने तो कभी घूमने के ! एक दो बार तो हम मान गये फिर हमे लगा ये लोग ज्यादा ही कर रहे थे तो हमने मना करना शुरू कर दिया ! उन्हें इस बात का बुरा लगने  लगा ! तो उन्होंने मयंक को फालतू  बोलना शुरू कर दिया ! जाने अनजाने मयंक मुझे पसंद करने लगा था ! मझे ये पता लग गया था ! मयंक हमे रोज़ किसी ना किसी बहाने से मिलने को बुलाता, पर हम तो ये सोच चुके थे, की हम इस चक्कर से ही दूर हो जायेंगे ! मयंक हमसे मिलने को पूछता तो हम मना कर देते थे ! मयंक को इस बात का बुरा लगता, पर वो करता भी क्या! मेरा जन्मदिन आने वाला था हम लोग उत्साह में थे ! अनिशा ने मेरे लिए बड़े बड़े प्लान्स बना रखे थे ! रोज़ की तरह हम कॉलेज ख़तम करके बड़े गेट से बहार निकले तो हमारी साँसे भड़ गयी ! सामने मयंक खड़ा था ! वो मेरे पास आया और बोला * आज मझे तुम्हारा जन्मदिन मनाने का मोका दे दो ! मने स्पस्ट मना कर दिया क्यूंकि मैं अनिशा को निराश नही करना चाहती थी ! वो नही माना, ऎसा लगा मनो आज वो मानेगा नही ! मने बहुत समझाया पर वो जिद पद डटा रहा ! मैंने उसे जाने को कहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया , मझे बुरा लगा ! फिर उसने माफ़ी मांगते हुए प्यार की कस्मे दे दी, तो मजबूरन मने हाँ कर दी ! वो हमे अपने फ्लैट पर ले गया जहाँ उसके दोस्त पहले से थे ! उस दिन भी उन्होंने हमे शराब पिला दी जो हमे बिलकुल भी पसंद नही थी ! उस दिन हमने कसम खा ली थी की हम कभी अब से इनसे नही मिलेंगे ! कुछ दिनों बाद मयंक हमसे मिला ! उसने हमसे नाराज़गी का वजह पूछी तो मैंने कह दिया की * मझे तुमसे कोई प्यार नही है , तुम अपना समय बर्बाद मत करो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो ! इस बात से  उसे बुरा लगा, उसने मुझे दोस्त रहने को कहा ! मैंने थोडा सोचा और * हाँ *कर दी ! सब ठीक चलने लग रहा था ! पर कहीं ना कहीं मयंक अपनी और अपने दोस्तों की बेजती का बदला लेने की सोच रहा था ! मयंक का एक  दोस्त था  जिसका नाम *अक्षय * था ! अक्षय देखने में आकर्षित करने वाला था ! वो लड़कियों में  बहुत आसानी से घुल मिल जाता था ! कॉलेज में उसने कई लड़कियों के साथ अपना नाम जोड़ रखा था ! वो जा भी लड़कियों के साथ करता, बाद में अपने दोस्तों को बताता था ! मयंक ने उसे मुझसे और अनिशा से दोस्ती करने के लिए मना लिया ! अक्षय बहुत जल्द हमारा दोस्त बन गया ! हम एक साथ घुमते और मिलते थे ! बहुत जल्द ही मेरा नाम अक्षय के साथ लिया जाने लगा ! इस बात का मयंक को बुरा लगा ! उसने मयंक को हमसे दूर हो जाने को कहा ! एक बार तो अक्षय ने मना किया, पर वो भी क्या करता ! अक्षय ने हमसे दोस्ती तोड़ ली थी ! वो अब हमसे दूर था ! मयंक इस बात से खुश था की वो मेरा नाम ख़राब करने में कामयाब हो चुका था ! हमे इस बात का बिलकुल भी पता नही था की लोग हमारे बारे में क्या बातें करने लगे थे ! एक दिन मैंने इंटरनेट पर एक लड़के का मैसेज पढ़ा जो उसने मझे कई महीनो पहले उसने मझे भेजा था ! उस लड़के का नाम *निस्चय* था ! वो देखने में अछा था और शरीफ भी था ! उसकी बातों से मझे लगा की वो मुझे पसंद करता था! वो हमसे मिला तो लगा की हमारी सोच और पसंद काफी मिलती थी ! उसको हम पर पूरा भरोसा था ! पर मयंक ने हमे एक साथ देख लिया था ! मयंक ने सोच रखा था की वो किसी भी लड़के को मेरे साथ नही दिखने देगा ! उसने निस्चय को  परेशान करना शुरू कर दिया , जब बात नही बनी तो उसे धमकाया पर वो नही माना ! फिर उसने मेरे और निस्चय की दोस्ती के बारे में जानने की कोशिश की ! अनिशा ने भावुक होकर कह दिया की * अगर महक किसी भी अरैए गैरे लड़के के साथ दिखती है तो वो उसका दोस्त भी हो सकता है ! निस्चय को  लोगों की बातों का कोई फर्क नही पड़ता था ! उसे तो बस हमसे दोस्ती निभानी थी ! उसने हमे कभी नही बताया था की एक बार ऐसे ही दोस्तों ने उसे जबर्दस्ती शराब पिलायी थी तो वो बेहोश हो गया था ! बाद में उसने उस संगत के दोस्त बनाये ही नही थे ! वो बस अपने जैसे लोगो से दोस्ती करना चाहता था ! वो हमे बिलकुल अपने जैसा समझता था ! वो किसी भी हाल में हमसे दोस्ती नही तोडना चाहता था ! उसने हमे कभी भी ये बात नही बतायी की मयंक उसे परेशान करता था ! बाद में जब जब मझे पता चला की वो थोडा परेशान रहता है तो मैंने उस से बात करनी बंद कर दी ताकि वो  पढ़ाई पर ध्यान दे सके ! एक दिन अचानक निस्चय ने मुझे बुरा भला कहा तो मझे बहुत बुरा लगा ! मुझे लगा की वो मझसे बदला ले रहा है क्योंकि मैंने उस से बात करनी जो बंद कर दी थी ! मैंने निस्चय से दोस्ती तोड़ने की ठान ली थी ! निस्चय ने एक दिन मुझे बताया की जो भी कुछ उसने कहा वो सब मयंक ने करवाया था ! मेरी एक गलत परख ने मेरे कॉलेज लाइफ का एक साल बर्बाद कर दिया  निस्चय कभी वापस नही आया ! ..........

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